Wednesday, 14 November 2012

शुरू से खत्म..



सिमट गयी है दुनिया उसी में होकर,
उसी से शुरू उसी पे खत्म...
ना कोई आरजू है ना कोई तिजारा,
सुबह से शुरू रात में खत्म...
गुलशन भी गूंजा है भवरों से मिलकर,
फूलो से शुरू कांटो पे खत्म…
प्यार का खेल आसान नही है दोस्त,
दिल से शुरू दिल पे खत्म...
बातें हमारी उनसे यूं ही चलती हैं,
होंठो से शुरू होंठो पे खत्म...
चाहत ही बहुत है हमारी उनसे,
नजरों से शुरू नजरों पे खत्म...
गिले शिकवे भी नही रखते उनसे,
आज पे शुरू आज पे खत्म…
याद रखेगी दुनियां भी हमको,
सूरज से शुरू चाँद पे खत्म............शशिकांत चौधरी ‘सागर’

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