वो संग दिल,
बहुत है खामोशी,
बहुत है खामोशी,
बहते आंसू .
नैनों की बातें,
कंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.
कंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.
महकी हवा,
आँगन कागा बोले
आया पाहुन.
गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!
आँगन कागा बोले
आया पाहुन.
गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!
-अल्पना वर्मा
मेरे हायकू[ बिना मेरी जानकारी के] यहाँ प्रकाशित हैं !
ReplyDeleteआभार.
Internet पे मुझे जो भी अच्छा लगता है, मई यहाँ ऑथर के नाम के साथ छपता हूँ, जिससे मई जब चुन आसानीसे पढ़ शकु. आशा करता हूँ आपको कोई आपति नहीं है. शुक्रिया.
ReplyDeleteनहीं नहीं तुषार जी ,आप ने नाम दिया है.आपति क्या होनी है.
ReplyDeleteआभार आप का कि आप ने इन्हें पसंद किया .