Sunday, 11 November 2012

चार हाइकु ; अल्पना वर्मा


वो संग दिल,
बहुत है खामोशी,
बहते आंसू .

नैनों की बातें,
कंपकंपाता मन ,
हुआ मिलन.

महकी हवा,
आँगन कागा बोले
आया पाहुन.

गिरता पारा,
अधढका बदन ,
सुबह मौन!

-अल्पना वर्मा 

3 comments:

  1. मेरे हायकू[ बिना मेरी जानकारी के] यहाँ प्रकाशित हैं !
    आभार.

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  2. Internet पे मुझे जो भी अच्छा लगता है, मई यहाँ ऑथर के नाम के साथ छपता हूँ, जिससे मई जब चुन आसानीसे पढ़ शकु. आशा करता हूँ आपको कोई आपति नहीं है. शुक्रिया.

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  3. नहीं नहीं तुषार जी ,आप ने नाम दिया है.आपति क्या होनी है.
    आभार आप का कि आप ने इन्हें पसंद किया .

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